• 'सच्ची मित्रता ' •
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एक छोटे से गाँव में, मोहन और सोहन नाम के दो मित्र रहते थे। वे बचपन से ही एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे और हमेशा साथ खेलते और पढ़ाई करते थे। दोनों की मित्रता गाँव में मिसाल थी।
एक दिन, गाँव में एक मेले का आयोजन हुआ। मोहन और सोहन ने सोचा कि वे भी मेले में जाएंगे और खूब मज़ा करेंगे। दोनों ने अपने-अपने परिवार से अनुमति ली और मेले की ओर चल पड़े।
रास्ते में उन्होंने खूब बातें कीं और मस्ती की। जब वे मेले में पहुंचे, तो वहाँ का दृश्य देखकर दंग रह गए। रंग-बिरंगी रोशनी, खेल-तमाशे और तरह-तरह के खाने-पीने की चीज़ें देखकर उनका मन खुश हो गया।
उन्होंने मेले में बहुत आनंद लिया और कई खेल खेले। वापस लौटते समय, अंधेरा हो चुका था और रास्ता सुनसान था।
चलते-चलते अचानक एक जंगली जानवर उनके सामने आ गया। मोहन और सोहन दोनों डर गए। मोहन ने जल्दी से एक पेड़ पर चढ़कर अपनी जान बचा ली, लेकिन सोहन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। सोहन ने तुरंत समझदारी से काम लिया और ज़मीन पर लेटकर अपनी साँसें रोक लीं, जैसे कि वह मर चुका हो।
जंगली जानवर ने सोहन को सूँघा और उसे मरा हुआ समझकर वहां से चला गया। मोहन ने देखा कि खतरा टल चुका है, तो वह पेड़ से नीचे उतरा और सोहन के पास गया। उसने सोहन से पूछा,
"भाई, अभी-अभी मैंने देखा कि वह जानवर तुम्हारे कान में कुछ कह रहा था। वह क्या कह रहा था?"
सोहन ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "वह कह रहा था कि सच्चे मित्र वही होते हैं जो संकट के समय में साथ न छोड़ें।" मोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने सोहन से माफी मांगी। सोहन ने उसे माफ कर दिया और दोनों ने मिलकर अपनी मित्रता को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया।
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Very nice
जवाब देंहटाएंBadiya
जवाब देंहटाएंNew story
जवाब देंहटाएं🥀 Give your feedback to make our page better 🔥🥰